Monday 28 October 2013

दीपावली का पर्व ५ दिनों का होता है

दीपावली का पर्व ५ दिनों का होता है.......... कैसे..... आइये जानते है ......

दीपावली रोशनी का त्यौहार है. दीपावली एक संस्कृत शब्द है.... जो दो शब्दों "दीप" और "आवली" से मिलकर बना है. दीप का तात्पर्य दीयों अथवा रोशनी से है जबकि "आवली" का अर्थ है दीपक की कतारें. इसलिए दीपावली की रात घर को दीपको से सजाते हैं. यह पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रियोदशी को शुरू होता हैं और कार्तिक शुक्ला द्वितीया तक चलता हैं. यानी की ये ५ दिनों का त्यौहार है. पांचो दिन अलग-अलग देवी - देवताओ की पूजा की जाती है. श्रद्धा और विश्वास से की गयी पूजा सफलता प्रदान करती है.

धनतेरस : - इस शब्द की उत्पत्ति "धन" और "तेरस" दो शब्दों से मिलकर हुई है. जहां "धन" का अर्थ मुद्रा अर्थात् लक्ष्मी से है और "तेरस" शब्द त्रयोदशी तिथि को दर्शाता है. भगवान् श्री धन्वन्तरी जी की इस दिन पूजा की जाती है. संध्या समय अन्न के ऊपर दिया जला कर, घर के मुख्य दरवाजे पर रखा जाता है. इस दिन नए बर्तन खरीदे जाते है, जो शुभता का प्रतीक है.

नरक चतुर्दशी : - धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है, जिसे नरक चौदस भी कहते है. इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस दिन सब कार्यो से निवृर्त होकर, नहाने से पूर्व सरसों के तेल से मालिश करके, नहाया जाता है. खास तौर पर इस दिन बाबा हनुमान जी की पूजा की जाती है (जो मै अपने पिछले आर्टिकल में बता चूका हु की किस तरह से पूजा करनी है). इस दिन पूजा करने से नरक की यातना नहीं भोगनी पड़ती.

दीपावली : - जैसा की मै ऊपर पहले बता चूका हु की ये पर्व रौशनी का पर्व है, संध्या समय दीपकों की लड़ियाँ लगा दी जाती है. ये दिन भगवान् श्री राम जी के अयोध्या आने की ख़ुशी में मनाया जाता है. इस दिन भगवान् श्री विष्णु जी ने अपने वामन अवतार में माता लक्ष्मी जी को राजा बलि के यहाँ से आज़ाद करवाया था. राजा बलि को आशीर्वाद दिया था की त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के दिन वो पृथ्वी पर होंगे (राजा बलि आज भी जीवित है, उनका नाम आज भी सप्त्जिवियों में लिया जाता है) और जो इन दिनों में दीप दान करेगा उस पर माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी और घर खुशियों से भर जाएगा. इस दिन भगवान् श्री गणेश जी, माता लक्ष्मी जी, श्री कुबेर देवता जी, श्री इंद्र देव जी और माता सरस्वती जी की पूजा का विधान है.

गोवेर्धन पूजा : - दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है. भगवान् श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को उठा कर गोकुल वासियो को इंद्र देव के कोपभाजन से बचाया था. तभी से इनकी पूजा का विधान है. इस दिन भगवान् श्री कृष्ण जी को भोग लगा कर गौ माता, बैल आदि पशुओ की पूजा की जाती है.

भाई दूज : - गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैया दूज का विशेष पर्व होता है. इस दिन बहने अपने भाई के लिए व्रत भी रखती है और उनकी सलामती के लिए पूजा करती है. इस दिन भाई अपनी बहिन के घर जाकर तिलक लगवाते है और नारियल गोला बहिन के आशीर्वाद के रूप में लेते है. इस दिन भगवान् श्री चित्र गुप्त जी की भी पूजा का विधान है. ये हमारे जीवन का लेखा - जोखा रखते है और जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए, इसकी प्रेरणा देते है.

Thursday 24 October 2013

श्री महालक्ष्मी पूजा, दीपोत्सव 3-11-2013 :-



श्री महालक्ष्मी पूजादीपोत्सव 3-11-2013 :- पंडित राजन जेटली

इस वर्ष दीपावली 3 नवंबर को है

तीन नवम्बर को 3 बजकर 35 मिनट से सूर्य ग्रहण लग रहा है। ग्रहण रात में 8 बजबर 59 मिनट पर समाप्त होगा। 
ग्रहण समाप्त होने तक अमावस्था तिथि भी समाप्त हो चुकी होगी, जबकि दीपावली अमावस्या तिथि में मनाई जाती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद तीन तारीख को कोई भी स्थिर लग्न नहीं होगा।
जबकि दीपावाली पूजन के लिए स्थिर लग्न को शुभ फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से देवी लक्ष्मी स्थिर रहती है और जिससे सुख-समृद्घि बनी रहती है।
ग्रहण का प्रभाव भारत वर्ष में न होने के कारन बिना किसी संशय के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा 3 नवंबर 2013 के दिन करे ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 3 नवंबर को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक होगा।
इसके बाद कुंभ लग्न 1 बजकर 45 मिनट से 3बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
अंतिम स्थिर लग्न वृष 6बजकर 15 मिनट से रात 8 बजे तक रहेगा।

मां लक्ष्मी की पूजा किस मुहूर्त में किन सामग्रियों के साथ की जाय जिससे कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त हो इस बात की जानकारी सामान्य लोगों को भी होनी चाहिए जिससे सबका कल्याण हो सके ,
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने से महालक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है , जिसका पालन करके प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है और अपना जीवन धन्य कर सकता है।
महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का बड़ा आसन तरीका बता रहा हूँ जिसे आप सब खुद भी कर सकते है
मंत्र :- १:- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महा-लक्ष्म्यै नमः।
२:- ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
३:- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
कैसे करें मंत्र जाप और हवन :-गुरुपुष्य योग या सर्वा सिद्धि योग के दिन संकल्प लेकर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके माँ लक्ष्मी कि मूर्ति या श्री यन्त्र के सामने स्फटिक कि माला से मंत्र जाप करे
जप जितना अधिक हो सके उतना अच्छा है। कम से कम 108 बार तो अवश्य करे
निम्न मन्त्रं में से किसी १ मंत्र का चयन करके कमल गट्टे को हवन में मिलाकर 21-51 -108 आहुति अग्नि में डाले .
मां लक्ष्मी कि कृपा से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता दूर होती है .

 
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।

Wednesday 23 October 2013

किस दिन मनाएंगे दीपावली?


किस दिन मनाएंगे दीपावली?

दीपावली की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। लेकिन अब दीपावली को लेकर मामला उलझने लगा है। ज्योतिषशास्त्रियों में इस बात को लेकर मतभेद पैदा हो गया है कि दीपावली किस दिन मनाई जाएगी। यह प्रश्न यूं ही नहीं उठा है। इसके पीछे एक गंभीर मुद्दा है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में देवी-देवताओं की न तो पूजा होती है और न उन्हें स्पर्श किया जाता है। ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है और इस समय से मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। इस वर्ष तीन नवम्बर को 3 बजकर 35 मिनट से सूर्य ग्रहण लग रहा है। ग्रहण रात में 8 बजबर 59 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण समाप्त होने तक अमावस्था तिथि भी समाप्त हो चुकी होगी, जबकि दीपावली अमावस्या तिथि में मनाई जाती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद तीन तारीख को कोई भी स्थिर लग्न नहीं होगा। जबकि दीपावाली पूजन के लिए स्थिर लग्न को शुभ फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से देवी लक्ष्मी स्थिर रहती है और जिससे सुख-समृद्घि बनी रहती है। ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 3 नवंबर को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक होगा। इसके बाद कुंभ लग्न 1 बजकर 45 मिनट से 3बजकर 15 मिनट तक रहेगा। अंतिम स्थिर लग्न वृष 6बजकर 15 मिनट से रात 8 बजे तक रहेगा। लेकिन ग्रहण के कारण इस समय पूजा करने में दुविधाजनक स्थिति बनी हुई है। इस के बारे में मैं कल बताऊँगा