Saturday 19 December 2015

किसी बच्चे को बोलने में समस्या हो

यदि किसी बच्चे को बोलने में समस्या आ रही हो तो उसके गले में 3 ताम्बे के पैसे हरे रंग के धागे में पिरो कर डलवा दें ।


पंडित राजन जेतली 
अपनी किसी भी निजी समस्या के लिए आप हमसे मिल सकते हैं 
9971234977

Wednesday 27 May 2015

मनुष्य कितना मूर्ख है

मनुष्य कितना मूर्ख है |

प्रार्थना करते समय समझता है कि भगवान सब सुन रहा है,
पर निंदा करते हुए ये भूल जाता है।

पुण्य करते समय यह समझता है कि भगवान देख रहा है,
पर पाप करते समय ये भूल जाता है।

दान करते हुए यह समझता है कि भगवान सब में बसता है,
पर चोरी करते हुए ये भूल जाता है।

प्रेम करते हुए यह समझता है कि पूरी दुनिया भगवान ने बनाई है,
पर नफरत करते हुए ये भूल जाता है।

………और हम कहते हैं कि मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है।

Thursday 12 March 2015

गुरूवार को जन्में व्यक्ति:

गुरूवार को जन्में व्यक्ति:

1. गुरूवार को जन्में व्यक्ति काफी मेधावी, शांति और काफी समझदार होते हैं।
2. आप लोगों की बहुत ज्यादा इज्जत करते हैं इसलिए लोगों के लिए आदर्श भी होते है।
3. आप साफ और स्वच्छ विचारधारा के मालिक होते हैं।
4. आपके अंदर लीडरशीप वाली क्वालिटी होती है इसलिए आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं वहां ऊंची पदवी जरूर हासिल करते हैं।
5. आप काफी मेहनती होते हैं और अपनी चीजें अपने दम पर पाने का माददा रखते हैं।
6. आप बंधन में नहीं रहना चाहते हैं क्योंकि आपको आजादी पसंद होती है।
7. आप जल्दी से लोगों पर भरोसा कर लेते हैं जिसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ता है।
8. आपके बहुत सारे दोस्त होते हैं लेकिन सच्चे मित्र कम।
9. आप स्ट्रेट फारवर्ड हैं और आप सुंदरता प्रिय होते हैं।
10. गुरूवार को जन्में व्यक्ति आकर्षण और अटेंशन प्रिय होते हैं इसलिए अक्सर यह प्रेमविवाह करते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
11. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से गुरूवार को जन्में व्यक्ति अक्सर छोटी-मोटी बीमारियों से ग्रसित रहते हैं जैसे जुकाम, पेट दर्द या सिर दर्द।
12. गुरूवार को जन्मे लोग पैसा खूब कमाते हैं दिल खोलकर खर्चा करते हैं।

Wednesday 11 March 2015

बुधवार को जन्में व्यक्ति:

बुधवार को जन्में व्यक्ति:
1. बुधवार को जन्में व्यक्ति शांत, विदूषी और बिजनेस माइंड के होते हैं।
2. आपकी लाइफ में प्लानिंग के कोई मायने नहीं लेकिन फिर भी आप काफी सुव्यवस्थित काम करने की कोशिश करते हैं।
3. आप साफ और स्वच्छ विचारधारा के मालिक होते हैं।
4. आप नई नई चीजों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
5. आपके बात करने का तरीका बहुत प्रभावशाली होता है।
6. आम तौर पर आप चीजों के लिए बहुत परेशान नहीं होते हैं इसलिए आप लोग जीवन से काफी संतुष्ट होते हैं।
7. आप सकारात्मक सोच के साथ ही जीवन में आगे बढते हैं इसलिए तरक्की भी करते हैं।
8. आम तौर पर आपको गुस्सा बहुत कम आता है लेकिन जब आता है तो सामने वाले की खैर नहीं।
9.यह आसानी से किसी को माफ नहीं करते हैं, जो एक बार इनकी नजर से उतर गया तो वो फिर से इनके दिल में जगह नहीं बना सकता है।
10.यह खर्चिले होते हैं और अपने फैसले खुद लेते हैं।
11.इनका वैवाहिक जीवन काफी सुखी होता है क्योंकि यह अपने पार्टनर की बहुत केयर करते हैं।
12. अक्सर बुधवार को जन्मे लोग अकेडमिक फील्ड में देखे जाते हैं क्योंकि यह तीव्र बुद्धि के होते हैं

मंगलवार को जन्मे व्यक्ति:

मंगलवार को जन्मे व्यक्ति:
1. मंगलवार को जन्मे लोग काफी बहादुर, स्मार्ट और एक्टिव होते हैं।
2. यह लोगों की मदद करने के लिए अक्सर तैयार होते हैं, इनका स्वभाव थोड़ा परोपकारी किस्म का होता है।
3. यह अपने हर काम को लेकर बहुत ही गंभीरता से करते हैं।
4. यह जुझारू प्रवृत्ति के होते हैं क्योंकि परेशानियां इनका पीछा नहीं छोड़ती हैं।
5. इन्हें गलत बात बर्दाश्त नहीं होती है इसलिए इन्हें गुस्सा भी बहुत आता है।
6. इन्हें लग्जरी लाइफ जीना अच्छा लगता है इसलिए इनके पास खूब सारे कपड़े, गाड़ी, घर और वो सब कुछ होता है जो कि एक लग्जरी लाइफ के लिए जरूरी होता है।
7.यह ईमानदार होते हैं, सच बोलते हैं और इसलिए यह अपने दम पर सफलता अर्जित करते हैं।
8.यह सोशल नहीं होते हैं और भगवान पर भरोसा रखते हैं।
9.यह आसानी से किसी को माफ नहीं करते हैं, जो एक बार इनकी नजर से उतर गया तो वो फिर से इनके दिल में जगह नहीं बना सकता है।
10.यह खर्चिले होते हैं और अपने फैसले खुद लेते हैं।
11.इनका वैवाहिक जीवन काफी सुखी होता है अक्सर इन्हें काफी सुंदर जीवनसाथी मिलता है।
12.यह अपने फैसले खुद लेते हैं।
13.इनमें एक सबसे बड़ी खराबी होती है और वो यह कि इनका मन बहुत जल्दी किसी चीज से ऊब जाता है।
14.यह स्ट्रेट फारवर्ड होते हैं इसलिए अक्सर लोग इनके बारे में गलत धारणा बना लेते हैं लेकिन यह दिल से बहुत कोमल होते हैं।
15. अक्सर मंगलवार को जन्में लोगों में एक खासियत होती है जो कि इन्हें भीड़ से अलग कर देती है।

सोमवार को जन्में व्यक्ति:

सोमवार को जन्में व्यक्ति:
1. सोमवार को जन्में व्यक्ति की याददाश्त बहुत अच्छी होती है।
2. आप मृदभाषी होते हैं लेकिन आप बहुत मूडी होते हैं।
3. आप काफी संवेदनशील होते हैं इसलिए बहुत जल्दी नर्वस भी हो जाते हैं।
4. आपको अपने परिवार संग वक्त बिताना बहुत अच्छा लगता है।
5. आपके लिए रिश्ते काफी महत्व रखते हैं।
6. आप पढाई में काफी अच्छे होते हैं और करियर में काफी तरक्की करते हैं।
7. सोमवार को जन्मी लड़कियां भविष्य में बहुत लविंग और केयरिंग पत्नी साबित होती हैं।
8. सोमवार को जन्में लड़के काफी लविंग होते हैं लेकिन कंजूसी की वजह से इन्हें अपनी पत्नियों की डांट सुननी पड़ती है।
9. आप लुक पर काफी ध्यान देते हैं और आपको सुंदरता आकर्षित करती हैं।
10. आप वैसे तो सबके साथ समान व्यवहार करते हैं लेकिन आपका मूडी होना कभी-कभी आप पर भारी पड़ जाता है।

रविवार को जन्में व्यक्ति

रविवार को जन्में व्यक्ति
1. रविवार को जन्में व्यक्ति सकारात्मक सोच के मालिक होते हैं और काफी विश्वसनीय होते हैं।
2. यह थोड़े इंट्रोवर्ट होते हैं इसलिए इनके दोस्त बहुत कम होते हैं।
3. आप काफी संवेदनशील होते हैं इसलिए किसी की भी बातें इनपर काफी दिनों तक असर करती हैं।
4. आप लोग अच्छे थिंकर होते हैं इसलिए इस दिन जन्मे लोग अक्सर करके लेखन या वकालत के क्षेत्र में होते हैं।
5. आप वैसे तो लोगों की मदद करते हैं लेकिन आप शार्ट टैंपर होते हैं जिसकी वजह से इनके अपने अक्सर इनसे नाराज हो जाते हैं।
6. आप पैसे वाले होते हैं और अपने दम पर पैसा कमाने की कोशिश भी करते हैं।
7. आप किसी भी चीज के साथ समझौता नहीं करते हैं।
8. आप ब्यूटी को पसंद करते हैं इसलिए संडे को जन्में लोग अक्सर प्रेम विवाह करते हैं।
9. आप लुक के मामले में भी काफी लकी होते हैं।
10. आप वैसे रिश्तों की काफी कद्र करते हैं इसलिए लोग आपको गुस्से के बावजूद छोड़ना नहीं चाहते हैं।

Saturday 7 March 2015

माला से ही जाप क्यों---

माला से ही जाप क्यों---

वैज्ञानिक दृष्टि से यह माना जाता है कि अंगूठे और उंगली पर माला का दबाव पड़ने से एक विद्युत तरंग उत्पन्न होती है। यह धमनी के रास्ते हृदय चक्र को प्रभावित करता है जिससे मन एकाग्र और शुद्घ होता है। तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
माना जाता है कि मध्यमा उंगली का हृदय से सीधा संबंध होता है। हृदय में आत्मा का वास है इसलिए मध्यमा उंगली और उंगूठे से जप किया जाता है।

पंडित राजन जेटली

Wednesday 4 March 2015

होली 5-6 मार्च 2015

होली 5/6 मार्च 2015
होली के अदभुत प्रयोग एवं उपाय जिनको करने से निश्चित ही होगा आर्थिक लाभ तथा मिलेगी बाधा रोग एवं शत्रु से मुक्ति .दूर होगी विवाह मे आ रही रुकावटे तथा होगी हर मनोकामना की पूर्ति........
इस वर्ष होली का त्योहार 5/6 मार्च को धूमधाम से मनाया जायेगाl
होली की पूजा मुखयतः भगवान विष्णु (नरसिंह अवतार) को ध्यान में रखकर की जाती है। अत: होली परिक्रमा करते समय नृसिहं मंत्र का जाप बहुत ही कल्याण कारी माना जाता हैl
होलिका परिक्र्मा मंत्र....
ऊं उग्रं वीरं महा बिश्णुम् ज्वलन्तम् सर्वतोमुखम्।
नृसिहं भीषणं भद्रम् मृत्यु मृत्युम् नमाम्यहम्।।
घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए।
होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।
होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें।
रात को जलती होलिका में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
होली दहन के समय ७ गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र होलिका दहन में डाल दें।
होली दहन के दूसरे दिन होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
होली के दिन से शुरु होकर बजरंग बाण का ४० दिन तक नियमित पाठ
करनें से हर मनोकामना पूर्ण होगी।
यदि व्यापार या नौकरी में उन्नति न हो रही हो, तो २१ गोमती चक्र लेकर होली दहन के दिन या रात्रि में शिवलिंग पर चढा दें।
नवग्रह बाधा के दोष को दूर करने के लिए होली की राख से शिवलिंग की पूजा करें तथा राख मिश्रित जल से स्नान करें।
होली वाले दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करायें।
होली की रात्रि को सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाकर पूजा करें व भगवान से सुख - समृद्धि की प्रार्थना करें। इस प्रयोग से बाधा निवारण होता है।
राहु एवं शनि का उपाय - एक नारियल का गोला लेकर उसमे अलसी का तेल या सरसो का तेल भरकर..उसी में थोडा सा गुड डाले..फिर उस नारियल के गोले को राहू या शनि से ग्रस्त व्यक्ति अपने शारीर के अंगो से स्पर्श करवाकर जलती हुई होलिका में डाल देवे. पुरे वर्ष भर राहू से तथा शनि से
परेशानी की संभावना नहीं रहेगी…
मनोकामना की पूर्ति हेतु होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं, मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
होली की प्रातः बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मंदिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर
अवश्य चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी।
स्वास्थ्य लाभ हेतु मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिए जौ के आटे में काले तिल एवं सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से
सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
व्यापार लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक
मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।
होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े
में लपेट कर दूकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ
ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में
दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।
धनहानि से बचाव के लिए होली के दिन मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें
और उस पर द्विमुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से
बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में डाल दें। यह क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि से बचाव होगा।
दुर्घटना से बचाव के लिए होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होलिका की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पांचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से
पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
होली के दिन प्रातः उठते ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वस्तु न लें, जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर रखें। किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रुमाल नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु या विरोधी से पान, इलायची, लौंग व् फल (सेब या केला)आदि न लें। ये सारे उपाय सावधानीपूर्वक करें, दुर्घटना से बचाव होगा।
आत्मरक्षा हेतु किसी को कष्ट न पहुंचाएं, किसी का बुरा न करें और न सोचें। आपकी रक्षा होगी।
अगर आपके घर में कोई शारीरिक कष्टों से पीड़ित है - ओर उसको रोग छोड़ नहीं रहे है - तो 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र बीमार ब्यक्ति के शरीर से 21 बार उसार कर होली की अग्नि में
डाल दे शारीरिक कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिल जायेगी
शीघ्र विवाह हेतु: जो युवा विवाह योग्य हैं और सर्वगुण संपन्न हैं,
फिर भी शादी नहीं हो पा रही है तो यह उपाय करें। होली के दिन
किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत
सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखें बिना अपने घर लौट आएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ ही समय-समय शुभ मुहूर्त में यह उपाय किया जा सकता है। जल्दी ही विवाह के योग बन जाएंगे। साथ ही साथ अपने से बडो एवं बुजुर्गो का आशीर्वाद जरुर लेl उपाय करने वाले प्रत्येक वक्ति को मद्यपान तथा ब्यसनो से खुद को दूर रखना आवश्यक हैl
होली भाईचारा एवं सौहार्द का त्योहार है अत: उसकी गरिमा बनाये रखे तथा बिनम्रता पूर्वक सूखे रंगो तथा अबीर एवं गुलाल का ही प्रयोग करेl
होली है भाइ होली हैl
बुरा ना मानो होली हैl
आप सभी मित्रों को हमारी ओर से होली की ढेरो शुभकामनाये तथा सुभाशिर्वादl
पं.राजन जेटली
(ज्योतिषाचार्य)
मोबाइल नम्बर-9971234977
अगर आप मुझसे किसी विषय पर गम्भीरता से बात करना चाहते हैं तो वो समयाभाव के कारण फेसबुक पर या मैसेज के माद्दयम से सम्भव् नहीं है
आप मुझसे अपनी कुंडली की विवेचना करवाना चाहते हैं या आप की कोई भी समस्या है तो आप मुझे मोबाइल नम्बर 09999885898 पर प्रति दिन प्रातः 11 बजे से 4 बजे तक फोन कर के टाइम ले सकते है।
llजय शिवll

Tuesday 3 March 2015

होली पर एक विशेष उपाय :

होली पर एक विशेष उपाय :

होलिका दहन से पूर्व, आज 3 मार्च, 2015 के दिन वर्षभर के लिये एक विशेष उपाय :

विशेष तौर पर यह उपाय उन लोगों के लिये है, जिनका बीमारियां, या कोई रोग-विशेष पीछा नहीं छोड़ रहा। वैसे यह उपाय मुश्किलों से छुटकारा पाने और सौभाग्य बढाने में भी सहायक होगा :

उपाय :
आपके आसपास जहां कहीं भी होलिका-दहन होना है, वहां जाकर एक चौमुखी, या चार बत्तियों वाला दीपक आज जलायें और विष्णु और लक्ष्मी जी से अपनी मन्नत मांगें। भगवान ने चाहा, आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी. 

आपका अपना 
पंडित राजन जेटली 

Sunday 1 March 2015

पति-पत्नी के बीच अनबन को दूर करने के 3 मंत्र....

पति-पत्नी के बीच अनबन को दूर करने के 3 मंत्र.....

पति-पत्नी का रिश्ता बहुत ही पवित्र और अटूट होता है, लेकिन यह एक ऐसा रिश्ता भी है
जहां कलह-क्लेश की सबसे ज्यादा गुंजाइश होती है। कभी-कभी यह क्लेश काफी बढ़ जाता है, जो जिंदगी को तबाह करने पर भी तुल जाता है। इस आपसी सामंजस्य को बेहतर बनाने के लिए कुछ ऐसे मंत्र भी हैं, जिनका जाप आपके इस कलह- क्लेश को आपसे दूर कर सकता है।

आइए, जानें वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाने और आपसी अनबन को दूर भगाने के लिए किन मंत्रों का जाप करना उचित है। कुछ जोड़े कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ते-झगड़ते रहते
हैं, जिनके कारण उनका वैवाहिक जीवन एकदम खराब हो जाता है।

इसे दूर करने के लिए आप सूर्योदय से पहले स्नान आदि के बाद
किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और इस मंत्र का जाप करें।

ॐ नम: शंभवाय च मयो भवाय च नम:
शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च।।

पति-पत्नी के मतभेद को दूर करने के लिए कुछ लोग मंत्र
जाप का भी सहारा लेते हैं। कहते हैं यदि यह जप
विधि-विधान से किया जाए तो पति-पत्नी के बीच
कभी अनबन नहीं होती साथ ही प्रेम भी बढ़ता है।

अक्ष्यौ नौ मधुसंकाशे अनीकं नौ समंजनम्।
अंत: कृणुष्व मां ह्रदि मन इन्नौ सहासति।।

कब करें जप: सुबह उठकर स्नान के बाद किसी एकांत जगह आसन
बिछा लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें। सामने
मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र रखें और श्रद्धापूर्वक उनकी स्तुति करते हुए 21 बार ऊपर
लिखे मंत्र का जाप करें।

वैवाहिक सुख की प्राप्ति और अनबन के निवारण के लिए
सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर भगवती दुर्गा की प्रतिमा के सामने
दीया और अगरबत्ती जलाकर पुष्प अर्पित करें। अब नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जाप करें।
ज्योतिषी औऱ पंडितों का मानना है कि ऐसा करने से कुल 21 दिनों में ही सुख-शांति का वातारण व्याप्त हो जाएगा-
मंत्र

धां धीं धूं धूर्जटे! पत्नी वां वीं वूं वाग्धीश्वरि।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि! शांत शीं शूं शुभं कुरू।

पंडित राजन जेटली

Sunday 15 February 2015

शिव का त्रिशुल, तीसरी आंख और नंदी – का क्या है रहस्य ?

महाशिवरात्रि पर विशेष आप सभी मित्रों हेतु काफी मेहनत से तैयार किया है ये लेख कैसा लगा कृपया अवश्य बताएं

शिव का त्रिशुल, तीसरी आंख और नंदी – का क्या है रहस्य ?

😊शिव की तीसरी आंख

शिव को हमेशा त्रयंबक कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आंख है। तीसरी आंख का मतलब यह नहीं है कि किसी के माथे में दरार पड़ी और वहां कुछ निकल आया! इसका मतल‍ब सिर्फ यह है कि बोध या अनुभव का एक दूसरा आयाम खुल गया है। दो आंखें सिर्फ भौतिक चीजों को देख सकती हैं। अगर मैं अपना हाथ उन पर रख लूं, तो वे उसके परे नहीं देख पाएंगी। उनकी सीमा यही है। अगर तीसरी आंख खुल जाती है, तो इसका मतलब है कि बोध का एक दूसरा आयाम खुल जाता है जो कि भीतर की ओर देख सकता है। इस बोध से आप जीवन को बिल्कुल अलग ढंग से देख सकते हैं। इसके बाद दुनिया में जितनी चीजों का अनुभव किया जा सकता है, उनका अनुभव हो सकता है। आपके बोध के विकास के लिए सबसे अहम चीज यह है – कि आपकी ऊर्जा को विकसित होना होगा और अपना स्तर ऊंचा करना होगा। योग की सारी प्रक्रिया यही है कि आपकी ऊर्जा को इस तरीके से विकसित किया जाए और सुधारा जाए कि आपका बोध बढ़े और तीसरी आंख खुल जाए। तीसरी आंख दृष्टि की आंख है। दोनों भौतिक आंखें सिर्फ आपकी इंद्रियां हैं। वे मन में तरह-तरह की फालतू बातें भरती हैं क्योंकि आप जो देखते हैं, वह सच नहीं है। आप इस या उस व्यक्ति को देखकर उसके बारे में कुछ अंदाजा लगाते हैं, मगर आप उसके अंदर शिव को नहीं देख पाते। आप चीजों को इस तरह देखते हैं, जो आपके जीवित रहने के लिए जरूरी हैं। कोई दूसरा प्राणी उसे दूसरे तरीके से देखता है, जो उसके जीवित रहने के लिए जरूरी है। इसीलिए हम इस दुनिया को माया कहते हैं। माया का मतलब है कि यह एक तरह का धोखा है। इसका मतलब यह नहीं है कि अस्तित्व एक कल्पना है। बस आप उसे जिस तरीके से देख रहे हैं, जिस तरह उसका अनुभव कर रहे हैं, वह सच नहीं है।

इसलिए एक और आंख को खोलना जरूरी है, जो ज्यादा गहराई में देख सके। तीसरी आंख का मतलब है कि आपका बोध जीवन के द्वैत से परे चला गया है। तब आप जीवन को सिर्फ उस रूप में नहीं देखते जो आपके जीवित रहने के लिए जरूरी है। बल्कि आप जीवन को उस तरह देख पाते हैं, जैसा वह वाकई है। हाल में ही एक वैज्ञानिक ने एक किताब लिखी है, जिसमें बताया गया है कि इंसानी आंख किस सीमा तक भौतिक अस्तित्व को देख सकती है। उनका कहना है कि इंसानी आंख भौतिक अस्तित्व का सिर्फ 0.00001 फीसदी देख सकती है। इसलिए अगर आप दो भौतिक आंखों से देखते हैं, तो आप वही देख सकते हैं, जो सामने होता है। अगर आप तीसरी आंख से देखते हैं, तो आप वह देख सकते हैं जिसका सामने आना अभी बाकी है और जो सामने आ सकता है। हमारे देश और हमारी परंपरा में, ज्ञान का मतलब किताबें पढ़ना, किसी की बातचीत सुनना या यहां-वहां से जानकारी इकट्ठा करना नहीं है। ज्ञान का मतलब जीवन को एक नई दृष्टि से देखना है। किसी कारण से महाशिवरात्रि के दिन प्रकृति उस संभावना को हमारे काफी करीब ले आती है। ऐसा करना हर दिन संभव है। इस खास दिन का इंतजार करना हमारे लिए जरूरी नहीं है, मगर इस दिन प्रकृति उसे आपके लिए ज्यादा उपलब्ध बना देती है।

☺ शिव का वाहन नंदी

नंदी का गुण यह है की, वह बस सजग होकर बैठा रहता है। यह बहुत अहम चीज है – वह सजग है, सुस्त नहीं है। वह आलसी की तरह नहीं बैठा है। वह पूरी तरह सक्रिय, पूरी सजगता से, जीवन से भरपूर बैठा है, ध्यान यही है।नंदी अनंत प्रतीक्षा का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में इंतजार को सबसे बड़ा गुण माना गया है। जो बस चुपचाप बैठकर इंतजार करना जानता है, वह कुदरती तौर पर ध्यानमग्न हो सकता है। नंदी को ऐसी उम्मीद नहीं है कि शिव कल आ जाएंगे। वह किसी चीज का अंदाजा नहीं लगाता या उम्मीद नहीं करता। वह बस इंतजार करता है। वह हमेशा इंतजार करेगा। यह गुण ग्रहणशीलता का मूल तत्व है। नंदी शिव का सबसे करीबी साथी है क्योंकि उसमें ग्रहणशीलता का गुण है। किसी मंदिर में जाने के लिए आपके अंदर नंदी का गुण होना चाहिए। ताकि आप बस बैठ सकें। इस गुण के होने का मतलब है – आप स्वर्ग जाने की कोशिश नहीं करेंगे, आप यह या वह पाने की कोशिश नहीं करेंगे – आप बस वहां बैठेंगे। लोगों को हमेशा से यह गलतफहमी रही है कि ध्यान किसी तरह की क्रिया है। नहीं – यह एक गुण है। यही बुनियादी अंतर है। प्रार्थना का मतलब है कि आप भगवान से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। ध्यान का मतलब है कि आप भगवान की बात सुनना चाहते हैं। आप बस अस्तित्व को, सृष्टि की परम प्रकृति को सुनना चाहते हैं। आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं है, आप बस सुनते हैं। नंदी का गुण यही है, वह बस सजग होकर बैठा रहता है। यह बहुत अहम चीज है – वह सजग है, सुस्त नहीं है। वह आलसी की तरह नहीं बैठा है। वह पूरी तरह सक्रिय, पूरी सजगता से, जीवन से भरपूर बैठा है, ध्यान यही है। ध्यान का मतलब मुख्य रूप से यही है कि वह इंसान अपना कोई काम नहीं कर रहा है। वह बस वहां मौजूद है। जब आप बस मौजूद होते हैं, तो आप अस्तित्व के विशाल आयाम के प्रति जागरूक हो जाते हैं जो हमेशा सक्रिय होता है। आप जागरूक हो जाते हैं कि आप उसका एक हिस्सा हैं। आप अब भी उसका एक हिस्सा हैं मगर यह जागरूकता – कि ‘मैं उसका एक हिस्सा हूं’ – ध्यान में मग्न होना है। नंदी उसी का प्रतीक है। वह बस बैठा रहकर हर किसी को याद दिलाता है, ‘तुम्हें मेरी तरह बैठना चाहिए।’ ‘ध्यानलिंग मंदिर के बाहर भी हमने एक बड़ा बैल स्थापित किया है। उसका संदेश बहुत साफ है, आपको अपनी सभी फालतू बातों को बाहर छोड़कर ध्यानलिंग में जाना चाहिए।

☺शिव का त्रिशूल

शिव का त्रिशूल जीवन के तीन मूल पहलुओं को दर्शाता है। योग परंपरा में उसे रुद्र, हर और सदाशिव कहा जाता है। ये जीवन के तीन मूल आयाम हैं, जिन्हें कई रूपों में दर्शाया गया है। उन्हें इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना भी कहा जा सकता है। ये तीनों प्राणमय कोष यानि मानव तंत्र के ऊर्जा शरीर में मौजूद तीन मूलभूत नाड़ियां हैं – बाईं, दाहिनी और मध्य। नाड़ियां शरीर में उस मार्ग या माध्यम की तरह होती हैं जिनसे प्राण का संचार होता है। तीन मूलभूत नाड़ियों से 72,000 नाड़ियां निकलती हैं। इन नाड़ियों का कोई भौतिक रूप नहीं होता। यानी अगर आप शरीर को काट कर इन्हें देखने की कोशिश करें तो आप उन्हें नहीं खोज सकते। लेकिन जैसे-जैसे आप अधिक सजग होते हैं, आप देख सकते हैं कि ऊर्जा की गति अनियमित नहीं है, वह तय रास्तों से गुजर रही है। प्राण या ऊर्जा 72,000 विभिन्न रास्तों से होकर गुजरती है। इड़ा और पिंगला जीवन के बुनियादी द्वैत के प्रतीक हैं। इस द्वैत को हम परंपरागत रूप से शिव और शक्ति का नाम देते हैं। या आप इसे बस पुरुषोचित और स्त्रियोचित कह सकते हैं, या यह आपके दो पहलू – तर्क-बुद्धि और सहज-ज्ञान हो सकते हैं।

शिव का त्रिशूल जीवन के तीन मूल पहलुओं को दर्शाता है। योग परंपरा में उसे रुद्र, हर और सदाशिव कहा जाता है। ये जीवन के तीन मूल आयाम हैं, जिन्हें कई रूपों में दर्शाया गया है। उन्हें इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना भी कहा जा सकता है।जीवन की रचना भी इसी के आधार पर होती है। इन दोनों गुणों के बिना, जीवन ऐसा नहीं होता, जैसा अभी है। सृजन से पहले की अवस्था में सब कुछ मौलिक रूप में होता है। उस अवस्था में द्वैत नहीं होता। लेकिन जैसे ही सृजन होता है, उसमें द्वैतता आ जाती है। पुरुषोचित और स्त्रियोचित का मतलब लिंग भेद से – या फिर शारीरिक रूप से पुरुष या स्त्री होने से – नहीं है, बल्कि प्रकृति में मौजूद कुछ खास गुणों से है। प्रकृति के कुछ गुणों को पुरुषोचित माना गया है और कुछ अन्य गुणों को स्त्रियोचित। आप भले ही पुरुष हों, लेकिन यदि आपकी इड़ा नाड़ी अधिक सक्रिय है, तो आपके अंदर स्त्रियोचित गुण हावी हो सकते हैं। आप भले ही स्त्री हों, मगर यदि आपकी पिंगला अधिक सक्रिय है तो आपमें पुरुषोचित गुण हावी हो सकते हैं। अगर आप इड़ा और पिंगला के बीच संतुलन बना पाते हैं तो दुनिया में आप प्रभावशाली हो सकते हैं। इससे आप जीवन के सभी पहलुओं को अच्छी तरह संभाल सकते हैं। अधिकतर लोग इड़ा और पिंगला में जीते और मरते हैं, मध्य स्थान सुषुम्ना निष्क्रिय बना रहता है। लेकिन सुषुम्ना मानव शरीर-विज्ञान का सबसे अहम पहलू है। जब ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है, जीवन असल में तभी शुरू होता है। आप एक नए किस्म का संतुलन पा लेते हैं, एक अंदरूनी संतुलन, जिसमें बाहर चाहे जो भी हो, आपके भीतर एक खास जगह बन जाती है, जो किसी भी तरह की हलचल में कभी अशांत नहीं होती, जिस पर बाहरी हालात का असर नहीं पड़ता। आप चेतनता की चोटी पर सिर्फ तभी पहुंच सकते हैं, जब आप अपने अंदर यह स्थिर अवस्था बना लें।



पंडित राजन जेटली
(ज्योतिषाचार्य)

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