इस महाशिवरात्रि सोमवार व महाशिवरात्रि के विशेष योग पर एक विशेष जानकारी
भारतीय धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शंकर अपने साकार रूप में संपूर्ण ब्रह्म में होने का एकमात्र कारण हैं। अपने निराकार रूप में वेदों ने इन्हें ही ब्रह्म परमेशवर कहा है। अपने साकार रूप में यही भोले भंडारी बनकर अपने भक्तों के दुख, दरिद्रता और दुर्भाग्य को हर लेते हैं। तभी तो लोग हर हर महादेव कहकर जयकारा लगाते हैं। संपूर्ण ब्रह्म को हरने का काम इन्हीं का ही है। महेशवर बनकर मृत्यु को हरते हैं, भंडारी बनकर लोगों के भंडार भरते हैं और आशुतोष बनकर लोगों के दुख और पीड़ाएं हरते हैं। यही एकमात्र ऐसे भगवान हैं जो सर्वाधिक जटिल होकर सर्वाधिक सरल भी हैं। मात्र जल, कांटे और पत्ते चढ़ाने से ही यह भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर लेते हैं कुछ विशेष पत्ते चढ़ाकर आप अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं।
* बिल्व पत्र चढ़ाने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
* पीपल के पत्ते चढ़ाने पर शनिदोष और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
* बरगद के पत्ते चढ़ाने से जीव की रक्षा होती है और दुर्धटनाओं से रक्षा होती है।
* आशोक के पत्ते चढ़ाने से यश बढ़ता है और संतान से संबंधित बाधाएं नष्ट होती हैं।
* आम के पत्ते चढ़ाने से अपार धन-संपत्ती प्राप्त होती है।
* आंकड़े के पत्ते चढ़ाने से मानसिक विकार दूर होते हैं।
* अनार के पत्ते चढ़ाने से दुख-दरिद्रता दूर होती है।
* पीपल के पत्ते चढ़ाने पर शनिदोष और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
* बरगद के पत्ते चढ़ाने से जीव की रक्षा होती है और दुर्धटनाओं से रक्षा होती है।
* आशोक के पत्ते चढ़ाने से यश बढ़ता है और संतान से संबंधित बाधाएं नष्ट होती हैं।
* आम के पत्ते चढ़ाने से अपार धन-संपत्ती प्राप्त होती है।
* आंकड़े के पत्ते चढ़ाने से मानसिक विकार दूर होते हैं।
* अनार के पत्ते चढ़ाने से दुख-दरिद्रता दूर होती है।
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पंडित राजन जेटली
(ज्योतिषाचार्य, आध्यात्मिक चिकित्सा विशेषज्ञ व मन्त्र-यन्त्र-तन्त्र साधक)
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