Monday 26 October 2020

स्वास्थ्य प्रदाता रोग विनाशक कार्तिक

स्वास्थ्य प्रदाता रोग विनाशक कार्तिक

कार्तिक मास को स्वास्थ्य प्रदाता तथा सभी रोगों का विनाशक माना गया है। 
स्कंदपुराण के वैष्णवखंड में कार्तिक मास के महत्व के विषय में कहा गया है-
रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।
अर्थात कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।
कार्तिक मास में ही आयुर्वेद के जनक तथा आरोग्य के देवता कहे जाने वाले भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

आयुर्वेद के मतानुसार, यदि कार्तिक मास में प्रातःकाल निराहार तुलसी के कुछ पत्तों का सेवन किया जाए तो मनुष्य वर्ष भर रोगों से सुरक्षित रहता है। एक कहावत के अनुसार “प्रातः कार्तिक मास में, नित तुलसी जो खाए,एक वर्ष तक रोग फिर उसको ढूंड न पाए ”। यदि तुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकें हों तो उसके बाद पान न खाएं। ये दोनों गर्म हैं और कार्तिक में रक्त-संचार भी प्रबलता से होता है, इसलिए तुलसी के बाद पान खाने से परेशानी में पड़ सकते हैं।


कहा गया है कार्तिक मास में बैंगन, मठ्ठा, करेला तथा दालों को त्याग कर देना चाहिए। 
कार्तिक में मूली स्वास्थ्य के लिए अच्छा है


कार्तिक मास में प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान का व्रत आरोग्यता प्रदान करता है। 
अकाल मृत्यु निवारण, शारीरिक स्वास्थ्य व भवन दोष निवारण के लिए इस श्लोक का 21 बार पाठ करें कार्तिक शुक्ल एकादशी को 
“शशंक चक्रं किरीटकुंडलं सपीतवस्त्रं सरसिरूहेक्षणं। 
सहस्त्राक्षवक्षस्थलकौस्तुभश्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्।।”
सफ़ेद दाग हो तो कार्तिक मास के हर रविवार को नमक मिर्च बिना का भोजन और सूर्य भगवान की पूजा तिल के तेल का दीपक दिखा के करे, लोटे में गुलाब की पंखुड़ियाँ,शक्कर,चावल, तिल आदि डालकर अर्घ्य दे |
"अच्युताय नमः अनन्ताय नमः गोविन्दाय नमः" यह 18 अक्षर का मंत्र रोग निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोई भी दवा लेने से पहले इस मंत्र का जप करें। दवा जरूर असर करेगी।

जो प्रतिदिन प्रातःकाल पच्चीस बार "ॐ नमो नारायणाय" अष्टाक्षर मंत्र का जप करके जल पीता है वह सब पापों से मुक्त, ज्ञानवान तथा नीरोग होता है
धनतेरस वाले दिन आरोग्य के देवता धनवंतरी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए धन्वन्तरि देव को प्रणाम करें 
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधिदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम॥

कार्तिक मास

कार्तिक मास

कार्तिक हिन्दू धर्म का आठवाँ महीना है। इस वर्ष 01 नवम्बर 2020 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) से कार्तिक का आरम्भ हो रहा है .

कार्तिक में कृत्तिका और मघा शून्य नक्षत्र हैं इनमें कार्य करने से धन का नाश होता है।

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की पंचमी और शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी मास शून्य तिथियां होती हैं। इन तिथियों शुभ काम नहीं करना चाहिए। 

महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “कार्तिकं तु नरो मासं यः कुर्यादेकभोजनम्। शूरश्च बहुभार्यश्च कीर्तिमांश्चैव जायते।।” जो मनुष्य कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह शूरभीर, अनेक भार्याओं से संयुक्त और कीर्तिमान होता है। 

कार्तिक में बैंगन और करेला खाना मना बताया गया है .

महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 66 जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अन्न का दान करता है, वह दुर्गम संकट से पार हो जाता है और मरकर अक्षय सुख का भागी होता है ।

शिवपुराण के अनुसार कार्तिक में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति प्राप्ति होती है .


स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार-  ‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः। तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’
अर्थात मासों में कार्तिक, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थों में नारायण तीर्थ बद्रिकाश्रम श्रेष्ठ है। ये तीनों कलियुग में अत्यंत दुर्लभ हैं। 
स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार-  ‘न कार्तिसमो मासो न कृतेन समं युगम्‌। न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगया समम्‌।’
अर्थात कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सत्युगके समान कोई युग नहीं, वेदके समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजीके समान कोई तीर्थ नहीं है।
भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्य क्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महीनों में कार्तिक विशेष प्रिय है- कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:।  इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है।