भारतीय नववर्ष , ईसवी कैलेण्डर के अनुसार २३-मार्च को प्रारम्भ हो रहा है. सभी भारतीयों को चाहिए कि- इस दिन को श्रद्धा, हर्ष और उत्साह के साथ मनाये लेकिन पश्चिम वालों की तरह मांस, मदिरा का सेवन या शोर शराबा नहीं करें.
कैसे मनाएं:
1. इस दिन अपने घर एवं प्रतिष्ठान के ऊपर भगवा, लाल,अथवा आस्थानुसार धर्मध्वजा फहराएं.
2. नजदीक के किसी मंदिर में जाकर ईश्वर के दर्शन करें और प्रसाद चढ़ाएं. माता के भक्त व्रत... रक्खें.
3. गौ-शाला, ब्रद्धाश्रम, अनाथाश्रम, आदि में जाकर सेवा अथवा दान करें.
4. अपने घर के बड़ों को प्रणाम एवं चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें.
5. जो लोग समर्थ हैं वो लंगर लगा कर लोगों को भोजन कराएं.
6. जो समर्थ नहीं हैं वो दूसरों के लगाए लंगर में श्रमदान करें.
भारतीय नववर्ष का पौराणिक महत्व :
1. भारतीय पौराणिक धारणा के अनुसार , यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है .
2. प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन.
3. प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना.
4. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है.
5. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : 5112 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ.
भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व :
1. चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने 2067 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था.
2. शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर, दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य की.
3. सिख परंपरा के द्वितीय गुरू- "गुरु अंगद देव" का जन्म दिवस.
4. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक, वरूणावतार "संत झूलेलाल" का जन्म दिवस.
5. स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना की .
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है.
2. हर्ष, उल्लास और उमंग का मौसम: चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि बिखरी होती है.
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है.
यही हम लोगों को भी समझना और समझाना होगा।
1. क्या एक जनवरी के साथ ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है, जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके ?
2. स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जाग सके ?
3. विदेशी को छोड़कर स्वदेशी नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनाए.
कैसे मनाएं:
1. इस दिन अपने घर एवं प्रतिष्ठान के ऊपर भगवा, लाल,अथवा आस्थानुसार धर्मध्वजा फहराएं.
2. नजदीक के किसी मंदिर में जाकर ईश्वर के दर्शन करें और प्रसाद चढ़ाएं. माता के भक्त व्रत... रक्खें.
3. गौ-शाला, ब्रद्धाश्रम, अनाथाश्रम, आदि में जाकर सेवा अथवा दान करें.
4. अपने घर के बड़ों को प्रणाम एवं चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें.
5. जो लोग समर्थ हैं वो लंगर लगा कर लोगों को भोजन कराएं.
6. जो समर्थ नहीं हैं वो दूसरों के लगाए लंगर में श्रमदान करें.
भारतीय नववर्ष का पौराणिक महत्व :
1. भारतीय पौराणिक धारणा के अनुसार , यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है .
2. प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन.
3. प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना.
4. शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है.
5. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : 5112 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ.
भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व :
1. चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने 2067 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था.
2. शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर, दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य की.
3. सिख परंपरा के द्वितीय गुरू- "गुरु अंगद देव" का जन्म दिवस.
4. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक, वरूणावतार "संत झूलेलाल" का जन्म दिवस.
5. स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना की .
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है.
2. हर्ष, उल्लास और उमंग का मौसम: चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि बिखरी होती है.
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है.
यही हम लोगों को भी समझना और समझाना होगा।
1. क्या एक जनवरी के साथ ऐसा एक भी प्रसंग जुड़ा है, जिससे राष्ट्र प्रेम जाग सके ?
2. स्वाभिमान जाग सके या श्रेष्ठ होने का भाव जाग सके ?
3. विदेशी को छोड़कर स्वदेशी नव वर्ष यानि विक्रमी संवत् को ही मनाए.
जय शिव
पंडित राजन
पंडित राजन
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