- यूं तो शिवजी की पूजा कभी भी कर सकते हैं, किन्तु ‘प्रदोष काल’ (सूर्यास्त से एक घंटा पहले और बाद का समय) श्रेष्ठ माना गया है।
- सावन में हर दिन शिव पूजा के लिए प्रशस्त है, पर सोमवार, त्रयोदशी व शिव चौदस मुख्य हैं।
- शिव को भस्म, लाल चन्दन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, भांग व बेलपत्र प्रिय हैं।
- भगवान शिव की पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है। सामान्य व्यक्ति ‘ऊँ नम: शिवाय’ या ‘ऊँ नमो भगवते रुद्राय’ मंत्र से उनका पूजन व अभिषेक कर सकता है।
- पूजा के बाद शिव महिमा स्तोत्र, शिव तांडव स्नोत्र या रुद्रायक का पाठ करना फलदायी है।
- भगवान शिव पर कदम्ब, मौलसिरी, कुन्द एवं जूही का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- अंत में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। शिवजी पर चढ़ाये हुए फल, फूल एवं प्रसाद न लें।
- सावन में हर दिन शिव पूजा के लिए प्रशस्त है, पर सोमवार, त्रयोदशी व शिव चौदस मुख्य हैं।
- शिव को भस्म, लाल चन्दन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, भांग व बेलपत्र प्रिय हैं।
- भगवान शिव की पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है। सामान्य व्यक्ति ‘ऊँ नम: शिवाय’ या ‘ऊँ नमो भगवते रुद्राय’ मंत्र से उनका पूजन व अभिषेक कर सकता है।
- पूजा के बाद शिव महिमा स्तोत्र, शिव तांडव स्नोत्र या रुद्रायक का पाठ करना फलदायी है।
- भगवान शिव पर कदम्ब, मौलसिरी, कुन्द एवं जूही का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- अंत में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें। शिवजी पर चढ़ाये हुए फल, फूल एवं प्रसाद न लें।
No comments:
Post a Comment