(2) प्रत्येक अमावस्या को कंडे की धूनी लगाकर उसमें खीर का भोग लगाकर
दक्षिण दिशा में पितरों का आव्हान करने व उनसे अपने कर्मों के लिये
क्षमायाचना करने से भी लाभ मिलता है ।
(3) पिता का आदर करने, उनके चरण स्पर्श करने, पितातुल्य सभी मनुष्यों को आदर देने से सूर्य मजबूत होता है ।
(4) सूर्योदय के समय किसी आसन पर खड़े होकर सूर्य को निहारने, उससे शक्ति देने की प्रार्थना करने और गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है ।
(5) सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक भी पहना जाता है, मगर यह कूंडली में सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है ।
यह तय है कि पितृदोष होने से जातक को श्रम अधिक करना पड़ता है, फल कम व देर से मिलता है । अत: इस हेतु मानसिक तैयरी करना व परिश्रम की आदत डालना श्रेयस्कर रहता है ।
(3) पिता का आदर करने, उनके चरण स्पर्श करने, पितातुल्य सभी मनुष्यों को आदर देने से सूर्य मजबूत होता है ।
(4) सूर्योदय के समय किसी आसन पर खड़े होकर सूर्य को निहारने, उससे शक्ति देने की प्रार्थना करने और गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है ।
(5) सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक भी पहना जाता है, मगर यह कूंडली में सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है ।
यह तय है कि पितृदोष होने से जातक को श्रम अधिक करना पड़ता है, फल कम व देर से मिलता है । अत: इस हेतु मानसिक तैयरी करना व परिश्रम की आदत डालना श्रेयस्कर रहता है ।
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