Monday 16 September 2013

श्राद्ध पक्ष ….. क्या है और क्यों करने चाहिए..



श्राद्ध पक्ष ….. क्या है और क्यों करने चाहिए..

श्राद्ध में हम सब को अपने पित्र देवो का आशीर्वाद ज़रूर लेना चाहिएचाहे कुंडली में पित्र दोष हो या ना होक्यूंकि बगैर पित्र देवो के आशीर्वाद से कुछ भी नहीं होताकिसी भी देवी-देवता का आशीर्वाद नहीं मिलता.. और ऐसा नहीं है की केवल श्राद्ध पक्ष में ही आशीर्वाद के लिए कुछ करेपित्र देवो के आशीर्वाद के लिए तो हर अमावस्याहर सक्रांति और कोई भी शुभ मुहूर्त में कुछ कुछ करते रहना चाहिए

वैसे भीसंतान की उत्पत्ति में गुणसूत्र का बहुत महत्व हैइन्ही गुणसूत्रों के अलग-अलग संयोग से पुत्र एवं पुत्री प्राप्त होते हैशास्त्रों में पुत्र को श्राद्ध कर्म का अधिकारी मुख्य रूप से माना गया है… { यदि घर में पुरुष सदस्य किसी भी वजह से ना हो तो स्त्री जाती में से भी कोई भी श्राद्ध कर सकता हैव्यवस्था देने के पीछे आचार्यो का उद्देश्य है कि श्रद्ध कर्म का लोप हो। स्मृति संग्रह एवं श्रद्ध कल्पलता के अनुसार पुत्र, पौत्र, पुत्री का पुत्र, पत्नी, भाई-भतीजा, पुत्रवधू, बहन, भांजा, सपिंड (पूर्व की 7वीं पीढ़ी तक के परिवार का सदस्य), सोदक (8वीं पीढ़ी से 14वीं पीढ़ी तक का पारिवारिक सदस्य) को श्रद्ध का अधिकारी माना गया है। इस क्रम में कोई मिले तो माता के कुल के सपिंड और सोदक को भी श्रद्ध करने का अधिकारी माना गया है। } पिता के शुक्राणु से जीवात्मा माता के गर्भ में प्रवेश करती हैउस जीवांश में ८४ अंश होते है…. जिसमे २८ अंश पिता के होते है.. २१ अंश दादा के….१५ अंश परदादा के…. १० अंश उनसे पहले….. अंश उनसे पहले अंश उनसे पहले और अंश उनसे पहले जो पूर्वज होते हैउनके होते है…. इस प्रकार पीड़ियों तक के सभी पूर्वजो के रक्त के अंश हमारे शरीर में होते हैतो हम सब अपने पितरो के ऋणी है…. इसीलिए हम सब को अपने पित्र देवो का आशीर्वाद ज़रूर लेना चाहिए….

वसु, रुद्र और आदित्य श्राद्ध के देवता माने जाते हैं। हर व्यक्ति के तीन पूर्वज पिता, दादा और परदादा क्रम से वसु, रुद्र और आदित्य के समान माने जाते हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ 29 सितंबर, शनिवार से हो रहा है। जो सोलह दिन तक चलता है और अश्विन मास की अमावस्या ( इस बार 15 अक्टूबर, सोमवार ) को समाप्त होता है। 29 सितंबर को अनंत चतुर्दशी सुबह तक रहेगी और पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। पितृ पूजा का महत्व मध्यान्ह काल में माना जाता है। इसलिए 29 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध 30 सितंबर को आश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा। वहीं, 3 तारीख को पंचाग भेद से तिथि बढ़ेगी और श्राद्ध पक्ष 15 अक्टूबर तक चलेगा। इस तरह पितरों का साथ इस बार 16 नहीं बल्कि 17 दिनों का रहेगा, जो बड़ा ही सुख-सौभाग्य देने वाला साबित होगा।

आयुः पुत्रान्यशः स्वर्ग कीर्ति पुष्टि बलं यिम्

पशून्सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात्पितृपूजनात्

धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पितृ को पिण्डदान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख साधन तथा धन धान्यादि की प्राप्ति करता है। यही नहीं पितृ की कृपा से ही उसे सब प्रकार की समृद्धि, सौभाग्य, राज्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। आश्विन मास के पितृपक्ष में पितृ को आशा लगी रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्डदान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे।इन दिनों में हम अपने पितरों को याद करते हैं और विभिन्न प्रकार का धार्मिक कार्य कर उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।

श्राद्ध पक्ष में क्या करे और क्या ना करे………

. इन पवित्र दिनों में सबसे पहले भूलकर भी किसी का अपमान ना करेब्रहमचर्य का पालन करेझूठ ना बोले…. मन में क्रोधलालचईर्षा , इस तरह के भाव नहीं होने चाहिए

. लोहे के पात्रों का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए वर्तमान समय में सर्वत्र प्रचलित स्टील में भी लोहे का अंश अधिक होता है, अतः इसका भी प्रयोग नहीं करना चाहिए यदि पूर्णतः त्याग सम्भव हो, तो ब्राह्मण भोजन के समय तो अवश्य ही लोहे का प्रयोग नहीं करना चाहिए, भोजन यदि चाँदी के बर्तनों में या पत्तल-दोने में करवाएं तो श्रेष्ठ है….

. जिस भोजन को सन्यासी ने या कुत्ते ने देख लिया हो, जिसमें बाल और कीड़े पड़ गये हों एवं बासी अथवा दुर्गंध-युक्त भोजन हो तो वो भोजन प्रयोग में नहीं लेना चाहिए…..

. श्राद्ध का भोजन स्त्री को नहीं करना चाहिए…..

. श्राद्ध में जौ, धान, तिल, गेहूं, मूंग, सरसों का तेल, आम, बेल, अनार, पुराना आंवला, खीर, परवल, चिरौंजी, बेर, जौ, मटर का प्रयोग करना अत्यन्त शुभ होता है…..

. पितरों को चाँदी, सोना एवं ताँबा अत्यन्त प्रिय है, अतः इनका प्रयोग श्राद्ध में किया जाए, तो अत्यन्त शुभ होता है पितरों को तर्पण करते समय यदि तर्जनी अंगुली में चाँदी या सोने की अंगुठी धारण कर ली जाए, तो वह श्राद्ध लाखों करोड़ों गुना फलदायक हो जाता है….

. इन दिनों में गौ माता की जितनी सेवा की जाए कम है… ( वैसे भी पुरे साल भर किसी किसी रूप में करनी ही चाहिए…), पक्षियों को , कअवे को और कुत्ते को भोजन देना या अपनी शमता अनुसार कुछ कुछ देते रहना चाहिए….

श्राद्ध पक्ष आप सब के लिए ढेर साड़ी खुशियाँ लेकर आये.. और पित्र देवो का आशीर्वाद आप सब को मिलेये ही मै दिल से.. ऊपर वाले से प्रार्थना करता हु……
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