Thursday 24 October 2013

श्री महालक्ष्मी पूजा, दीपोत्सव 3-11-2013 :-



श्री महालक्ष्मी पूजादीपोत्सव 3-11-2013 :- पंडित राजन जेटली

इस वर्ष दीपावली 3 नवंबर को है

तीन नवम्बर को 3 बजकर 35 मिनट से सूर्य ग्रहण लग रहा है। ग्रहण रात में 8 बजबर 59 मिनट पर समाप्त होगा। 
ग्रहण समाप्त होने तक अमावस्था तिथि भी समाप्त हो चुकी होगी, जबकि दीपावली अमावस्या तिथि में मनाई जाती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद तीन तारीख को कोई भी स्थिर लग्न नहीं होगा।
जबकि दीपावाली पूजन के लिए स्थिर लग्न को शुभ फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि स्थिर लग्न में दीपावली पूजन करने से देवी लक्ष्मी स्थिर रहती है और जिससे सुख-समृद्घि बनी रहती है।
ग्रहण का प्रभाव भारत वर्ष में न होने के कारन बिना किसी संशय के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा 3 नवंबर 2013 के दिन करे ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 3 नवंबर को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक होगा।
इसके बाद कुंभ लग्न 1 बजकर 45 मिनट से 3बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
अंतिम स्थिर लग्न वृष 6बजकर 15 मिनट से रात 8 बजे तक रहेगा।

मां लक्ष्मी की पूजा किस मुहूर्त में किन सामग्रियों के साथ की जाय जिससे कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त हो इस बात की जानकारी सामान्य लोगों को भी होनी चाहिए जिससे सबका कल्याण हो सके ,
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने से महालक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है , जिसका पालन करके प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है और अपना जीवन धन्य कर सकता है।
महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का बड़ा आसन तरीका बता रहा हूँ जिसे आप सब खुद भी कर सकते है
मंत्र :- १:- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महा-लक्ष्म्यै नमः।
२:- ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
३:- श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
कैसे करें मंत्र जाप और हवन :-गुरुपुष्य योग या सर्वा सिद्धि योग के दिन संकल्प लेकर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख करके माँ लक्ष्मी कि मूर्ति या श्री यन्त्र के सामने स्फटिक कि माला से मंत्र जाप करे
जप जितना अधिक हो सके उतना अच्छा है। कम से कम 108 बार तो अवश्य करे
निम्न मन्त्रं में से किसी १ मंत्र का चयन करके कमल गट्टे को हवन में मिलाकर 21-51 -108 आहुति अग्नि में डाले .
मां लक्ष्मी कि कृपा से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता दूर होती है .

 
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।

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