घर के पूजा मंदिर से सम्बंधित सावधानियां और नियम
👉 देवालय मंदिर या गुंबद के आकार का न बनाकर ऊपर से चपटा बनवाएं परंतु उसपर कुछ न रखें।
👉 देवालय जहाँ तक हो सके ईशान कोण में रखें। यदि ईशान न मिले तो पूर्व या पश्चिम में स्थापित करें।
👉 देवालय में कुल देवता, देवी, अन्नपूर्णा, गणपति, श्रीयंत्र आदि की स्थापना करें।
👉 तीर्थ स्थानों से खरीदी मूर्तियों को देवालय में न रखें। पारंपरिक मूर्तियों की ही पूजा करें।
👉 आसन बिछाकर मूर्तियाँ रखें। पूजा करते समय आप भी आसन पर बैठकर पूजा करें।
👉 मूर्तियाँ किसी भी हालत में चार इंच से अधिक लंबी न हों।
👉 नाचते गणपति, तांडव करते शिव, वध करती कालिका आदि की मूर्तियाँ या तस्वीरें न रखें।
👉 महादेव के लिंग के रूप की आराधना करना उत्तम है।
👉 पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व की ओर रखें।
👉 पूजा में शंख-घंटे का प्रयोग अवश्य करें।
👉 निर्माल्य-पुष्प-नारियल आदि पूजा के पश्चात विसर्जित करें, घर में न रखें।
👉 पूजा के पवित्र जल को घर के हर कोने में छिड़कें।
👉 मीठी वस्तुओं का भोग लगाएँ।
👉 खंडित मूर्तियों का विसर्जन कर दें। विसर्जन से पहले उन्हें भोग अवश्य लगाएँ।
*हर-हर महादेव*
आपका अपना
*पंडित राजन जेतली*
👉 देवालय मंदिर या गुंबद के आकार का न बनाकर ऊपर से चपटा बनवाएं परंतु उसपर कुछ न रखें।
👉 देवालय जहाँ तक हो सके ईशान कोण में रखें। यदि ईशान न मिले तो पूर्व या पश्चिम में स्थापित करें।
👉 देवालय में कुल देवता, देवी, अन्नपूर्णा, गणपति, श्रीयंत्र आदि की स्थापना करें।
👉 तीर्थ स्थानों से खरीदी मूर्तियों को देवालय में न रखें। पारंपरिक मूर्तियों की ही पूजा करें।
👉 आसन बिछाकर मूर्तियाँ रखें। पूजा करते समय आप भी आसन पर बैठकर पूजा करें।
👉 मूर्तियाँ किसी भी हालत में चार इंच से अधिक लंबी न हों।
👉 नाचते गणपति, तांडव करते शिव, वध करती कालिका आदि की मूर्तियाँ या तस्वीरें न रखें।
👉 महादेव के लिंग के रूप की आराधना करना उत्तम है।
👉 पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व की ओर रखें।
👉 पूजा में शंख-घंटे का प्रयोग अवश्य करें।
👉 निर्माल्य-पुष्प-नारियल आदि पूजा के पश्चात विसर्जित करें, घर में न रखें।
👉 पूजा के पवित्र जल को घर के हर कोने में छिड़कें।
👉 मीठी वस्तुओं का भोग लगाएँ।
👉 खंडित मूर्तियों का विसर्जन कर दें। विसर्जन से पहले उन्हें भोग अवश्य लगाएँ।
*हर-हर महादेव*
आपका अपना
*पंडित राजन जेतली*
No comments:
Post a Comment