शनि की साढ़े साती को कैसे शांत करे :-
पाँच या सात शनिवार लगातार किसी लोहे के पात्र में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर तेल आक के पौधे पर डाल दें।
"ॐ शनैश्चराय नमः" इस मंत्र का जप प्रतिदिन १०८ बार करें या निम्नलिखित मन्त्र का ५ माला जप करें-"ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनेश्चराय नमः"
लाजवन्ती, लौंग, लोबान, चौलाई, काला तिल, गौर, काली मिर्च, मंगरैला, कुल्थी, गौमूत्र आदि में से जो भी प्राप्त हो (कम से कम पांच या सात) के चूर्ण को जल में मिलाकर दक्षिणमुखी खड़े होकर स्नान करें। इस जल से स्नान करने के पश्चात् किसी भी तरह का साबुन या तेल का प्रयोग नहीं करें।
शनिवार के दिन काले उड़द, तेल, तिल, लोहे से बनी वस्तु तथा श्याम वस्त्र दान देने से शनि पीड़ा का शमन होता है।
काले घोड़े की नाल को प्राप्त कर उसमें से अपनी मध्यमा अंगुली की नाप का छल्ला बनवायें। इस छल्ले का मुँह खुला रखें। शनिवार के दिन कच्चे सूत से अपनी लम्बाई नाप कर उसको मोड़कर बत्ती बनाए, इस बत्ती से तेल का दीपक प्रज्जवलित कर उसमें छल्ला डाल दें
एक सूखा नारियल लेकर उसमें चाकू से छोटा सा गोल छेद काट लें। इस छेद से नारियल में बूरा तथा बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता, अखरोट या छुआरा भी गट में भरें। अब इसे पुनः बन्द कर किसी पीपल के पास भूमि के अन्दर इस प्रकार गाड़ दें की चीटियां आसानी से तलाश लें, किन्तु अन्य जानवर न पा सकें। घर लौटकर पैर धोकर घर में प्रवेश करें। इस प्रकार ८ शनिवार तक यह क्रिया सम्पन्न करें।
प्रत्येक शनिवार जौ के आटे से बनी गोलियाँ मछलियों को खाने को डालें।
शनिवार के दिन काले कपड़े में जौ, नारियल, लोहे की चौकोर शीट, काले तिल, कच्चे कोयले व काले चने को पोटली में बांधकर बहते हुए पानी में डालना शुभ रहता है।
काली गाय व काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी, चने की दाल व गुड खिलाना लाभप्रद रहता है।
इस मंत्र को प्रतिदिन २१ बार जपें-"नीलाञ्जन-समाभासं, रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया-मार्तण्ड-सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम्।।"
पाँच या सात शनिवार लगातार किसी लोहे के पात्र में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर तेल आक के पौधे पर डाल दें।
"ॐ शनैश्चराय नमः" इस मंत्र का जप प्रतिदिन १०८ बार करें या निम्नलिखित मन्त्र का ५ माला जप करें-"ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनेश्चराय नमः"
लाजवन्ती, लौंग, लोबान, चौलाई, काला तिल, गौर, काली मिर्च, मंगरैला, कुल्थी, गौमूत्र आदि में से जो भी प्राप्त हो (कम से कम पांच या सात) के चूर्ण को जल में मिलाकर दक्षिणमुखी खड़े होकर स्नान करें। इस जल से स्नान करने के पश्चात् किसी भी तरह का साबुन या तेल का प्रयोग नहीं करें।
शनिवार के दिन काले उड़द, तेल, तिल, लोहे से बनी वस्तु तथा श्याम वस्त्र दान देने से शनि पीड़ा का शमन होता है।
काले घोड़े की नाल को प्राप्त कर उसमें से अपनी मध्यमा अंगुली की नाप का छल्ला बनवायें। इस छल्ले का मुँह खुला रखें। शनिवार के दिन कच्चे सूत से अपनी लम्बाई नाप कर उसको मोड़कर बत्ती बनाए, इस बत्ती से तेल का दीपक प्रज्जवलित कर उसमें छल्ला डाल दें
एक सूखा नारियल लेकर उसमें चाकू से छोटा सा गोल छेद काट लें। इस छेद से नारियल में बूरा तथा बादाम, काजू, किशमिश, पिस्ता, अखरोट या छुआरा भी गट में भरें। अब इसे पुनः बन्द कर किसी पीपल के पास भूमि के अन्दर इस प्रकार गाड़ दें की चीटियां आसानी से तलाश लें, किन्तु अन्य जानवर न पा सकें। घर लौटकर पैर धोकर घर में प्रवेश करें। इस प्रकार ८ शनिवार तक यह क्रिया सम्पन्न करें।
प्रत्येक शनिवार जौ के आटे से बनी गोलियाँ मछलियों को खाने को डालें।
शनिवार के दिन काले कपड़े में जौ, नारियल, लोहे की चौकोर शीट, काले तिल, कच्चे कोयले व काले चने को पोटली में बांधकर बहते हुए पानी में डालना शुभ रहता है।
काली गाय व काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी, चने की दाल व गुड खिलाना लाभप्रद रहता है।
इस मंत्र को प्रतिदिन २१ बार जपें-"नीलाञ्जन-समाभासं, रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया-मार्तण्ड-सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम्।।"
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