Thursday 5 April 2012

हनुमान जयंती (06-04-2012)


हनुमान जयंती (06-04-2012)

चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमानजी आज भी हमारे बीच हैं। कहते हैं कि मानव जाति के इतिहास में हनुमानजी से बढ़कर कोई भक्त नहीं हुआ। भक्त तो बहुत हुए, जैसे भक्त प्रहलाद, भक्त नृसिंह मेहता, भैरवनाथ, वैष्णोदेवी के भक्त श्रीधर, शिव के अनेक भक्त आदि लेकिन हनुमानजी तो ऐसे हैं जैसे पर्वतों में हिमालय।

इस बार जन्मोत्सव अमृतयोग में मनाया जाएगा। शुक्रवार 6 अप्रैल को हस्त नक्षत्र होने से यह योग निर्मित हो रहा है। मारुतिनंदन को चोला चढ़ाने से जहां सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है। हनुमानजी को भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम बताया गया है।

हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी में किया जाता है, यानी वे अजर-अमर देवता हैं। उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया। ऐसे में अमृतयोग में उनकी जयंती पर पूजन करना ज्यादा फलदायक होगा। बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता। हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना और आरती का विधान है।

हनुमान चालीसा या हनुमान अष्टक पढ़ने मात्र से ही व्यक्ति के सारे संकट दूर हो जाते हैं। भू‍त-प्रेत निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै। शनि के प्रकोप से बचाव के लिए हनुमानजी की भक्ति उत्तम है। कारण यह कि संजीवनी लेने जब हनुमानजी द्रोणागिरि पर्वत से लौट रहे थे तो रावण को इस बात की भनक हो चली थी।

उन्होंने हनुमानजी को वहीं रोके रखने के लिए शनि को उनके पीछे लगा दिया, लेकिन हनुमानजी ने बुद्धि और बल से शनि को अपने पैरों के नीचे कुचलकर बाँध दिया।
शनि ने आखिरकार हार मानकर उनसे उन्हें छोड़ देने की याचना की तब हनुमानजी ने कहा कि इस शर्त पर तुम बच सकते हो कि जबकि कोई व्यक्ति राम का जाप करे तो तुम उसे परेशान नहीं करोगे।

दासहनुमान व वीर हनुमान”, ये हनुमान के दो रूप हैं। दासहनुमान राम के आगे हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। उनकी पूँछ जमीन पर रहती है। वीर हनुमान योद्धा मुद्रा में होते हैं। उनकी पूँछ उत्थित रहती है व दाहिना हाथ माथे की ओर मुड़ा रहता है। कभी-कभी उनके पैरों तले राक्षस की मूर्ति भी होती है। भूतावेश, जादू-टोना इत्यादि द्वारा कष्ट दूर करने के लिए वीर हनुमान की उपासना करते हैं।

चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु कौन सी हनुमान प्रतिमा का पूजन करना लाभप्रद रहेगा।

राम भक्त हनुमान स्वरुप -

राम भक्ति में मग्न हनुमानजी की उपासना करने से जीवन के महत्व पूर्ण कार्यो में आ रहे संकटो एवं बाधाओं को दूर करती हैं एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक एकाग्रता व अटूट लगन प्रदान करने वाली होती है।

संजीवनी पहाड़ लिये हनुमान स्वरुप -

संजीवनी पहाड़ उठाये हुए हनुमानजी की उपासना करने से व्यक्ति को प्राणभय, संकट, रोग इत्यादी हेतु लाभप्रद मानी गई हैं। विद्वानो के मत से जिस प्रकार हनुमानजी ने लक्षमणजी के प्राण बचाये थे उसी प्रकार हनुमानजी अपने भक्तो के प्राण की रक्षा करते हैं एवं अपने भक्त के बडे से बडे संकटो को संजिवनी पहाड़ की तरह उठाने में समर्थ हैं।

ध्यान मग्न हनुमान स्वरुप -

हनुमानजी का ध्यान मग्न स्वरुप व्यक्ति को साधना में सफलता प्रदान करने वाला, योग सिद्धि या प्रदान करने वाला मानागया हैं।

रामायणी हनुमान स्वरुप -

रामायणी हनुमानजी का स्वरुप विद्यार्थीयो के लिये विशेष लाभ प्रद होता हैं। जिस प्रकार रामायण एक आदर्श ग्रंथ हैं उसी प्रकार हनुमानजी के रामायणी स्वरुप का पूजन विद्या अध्यन से जुडे लोगो के लिये लाभप्रद होता हैं।

हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप-

हनुमानजी का पवन पुत्र स्वरुप के पूजन से आकस्मिक दुर्घटना, वाहन इत्यादि की सुरक्षा हेतु उत्तम माना गया हैं।

आईये श्री हनुमानजी का गुण-गान करें

कोइ कहता मंगल,शनिवार तुम्हारा है मै तो कहता हर पल,
हर वार तुम्हारा है जय राम सियाराम,जय राम सियाराम ...
तेरे वार के आगे ,क्या वार कोइ करता हो भुत या पिशाच,
तेरे नाम से है डरता महाबीर,बजरंगी जो नाम तुम्हारा है मै तो कहता .....
कोइ कहता मंगल,शनिवार तुम्हारा है मै तो कहता हर पल,
हर वार तुम्हारा है जय राम सियाराम ,जय राम सियाराम ...
तूं बल बुधि का दाता,कष्ट सभी हरता मनोकामना पुरी,
भक्तों की तूं करता जो सुमिरे नाम प्रभु का,लगता तुझे प्यारा है मै तो कहता ....
कोइ कहता मंगल,शनिवार तुम्हारा है मै तो कहता हर पल,
हर वार तुम्हारा है जय राम सियाराम ,जय राम सियाराम ...
तूं सियाराम दुलारा,भक्तों को लगता प्यारा तेरी शक्ति को सबने ,
मिलकर जो था ललकारा लाँघ गए सागर को ,लंका को जारा है मै तो कहता .....
कोइ कहता मंगल,शनिवार तुम्हारा है मै तो कहता हर पल,
हर वार तुम्हारा है जय राम सियाराम ,जय राम सियाराम ...
ओ पवन पुत्र बलकारी ,माता के आज्ञाकारी सुर नर मुनिजन सबने ,
तेरी आरती उतारी 'टीकम' संकट मोचन,भव तारण हारा है |मै तो कहता ...
कोइ कहता मंगल,शनिवार तुम्हारा है मै तो कहता हर पल,
हर वार तुम्हारा है जय राम सियाराम ,जय राम सियाराम ...
जय राम-राम,जय राम-राम,जय राम-राम सियाराम जय राम-राम,
जय राम-राम,जय राम-राम सियाराम ……

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