Monday 29 April 2013

मंगली दोष और उसके उपाय

मंगली दोष और उसके उपाय

भारत ही नही विश्व मे भी मंगली दोष के परिहार के उपाय पूंछे जाने लगे हैं। जो लोग भली भांति मंगली दोष से पीडित है और उन्होने अगर मंगली व्यक्ति को ही अपना सहचर नही बनाया है तो उनकी जिन्दगियां नर्क के समान बन गयीं है,यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। जन्म कुन्डली के अनुसार अगर मंगल लगन में है,मंगल दूसरे भाव में है,मंगल अगर चौथे भाव में है,मंगल अगर अष्टम भाव में है,मंगल अगर बारहवें भाव में है तो मंगली दोष लग जाता है। मंगली दोष हमेशा प्रभावी नही रहता है,मंगल अगर किसी खराब ग्रह जैसे राहु केतु या शनि से पीडित हो रहा हो तो मंगली दोष अधिक परेशान करता है,अगर वही मंगल अगर किसी प्रकार से गुरु या चन्द्र से प्रभावित हो जाता है तो मंगल साफ़ और शुद्ध होकर पूजा पाठ और सामाजिक मान्यता में अपना नाम और धन कमाने में सफ़ल रहता है,इसलिये मंगल को समझने के लिये मंगल का रूप समझना बहुत जरूरी है। मंगल पति की कुन्डली में उसके खून का कारक होता है,उसकी शक्ति जो पौरुषता के रूप में जानी जाती है के रूप में होता है,मंगल भाइयों के रूप में भी जाना जाता है,और मंगल अगर कैरियर का बखान करता है तो वह शनि के साथ मिलकर डाक्टरी,इन्जीनियरिंग,रक्षा सेवा और जमीनी मिट्टी को पकाने के काम,जमीनी धातुओं को गलाने और उनसे व्यवसाय करने वाले काम,भवन निर्माता और रत्नों आदि की कटाई के लिये लगाये जाने वाले उद्योगों के रूप में भी जाना जाता है।

चतुर्थ भावस्थ मंगल यदि अशुभ हो, तो शहद, शक्कर और चीनी का व्यापार कदापि न करें।बंदरों, साध् ाुओं और अपनी मां की सेवा करें। बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं। अष्टमस्थ मंगल के भी यही उपाय हैं।इसके अतिरिक्त इस स्थिति के दोष से बचाव के लिए विधवाओं का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा अपने पुत्र के जन्मदिन पर नमक बांटें।सप्तम (जाया) भाव में किसी भी राशि का मंगल जब अशुभ हो, तो जातक साली, मौसी, बहन, बेटी और बुआ को मिठाइयां बांटें।झूठ और झूठी गवाही से बचें। पत्नी को चांदी की चूड़ी लाल रंग करके पहनाएं। व्यय भाव में जब मंगल अशुभता लिए हुए हो, तो जातक नित्य सुबह खाली पेट शहद का सेवन, मंदिर में बांटें और अन्य लोगों को खिलाएं।

मंगल दोष अपना सर्वाध् िाक बुरा प्रभाव सप्तम व अष्टम भावों में दिखाता है जबकि व्यय भाव में इसका प्रभाव कम होता है। मूलतः यह माना जाता है कि मंगल दोष कुटुंब सुख में बाधक होता है क्योंकि अग्नि तत्व प्रधान होने के कारण मंगल साध् ाारण ग्रहों से प्रभावित नहीं हो पाता। फलतः जातक में क्रोध, चिड़चिड़ापन, हठधमिर्त ा, कामाध्ं ाता, वचै ारिक मतभदे आदि बढ़ जाते हंै, जिससे पारिवारिक जीवन दुखद हो जाता है। अशुभ ग्रहों को निष्क्रिय करने अथवा शुभत्व प्रदान करने के सुझाव अत्यंत प्रभावशाली हैं जिन्हें एक सामान्य इन्सान, आर्थिक रूप से विपन्न व्यक्ति भी, आसानी से कर के लाभान्वित हो सकता है।

मंगल दोष निवारणार्थ मंगल दोष के सामान्य उपाय सभी प्रकार की लग्न कुंडलियों के विविध भावगत मंगल दोष के लिए सर्वमान्य हैं, जिन्हें अवश्य करना चाहिए। जैसे मंगल की धातु तांबा तथा रत्न मूंगा है, शहद एवं मिठाई मंगल को विशेष प्रिय हंै।इनकी शांति, पूजा, दानादि से लग्न को सबल, सक्रिय किया जा सकता है। मंगलवार का व्रत, हनुमानजी की आराधना, विविध पाठ, शहद, सिंदूर, मसूर की दाल का दान या उनका बहते पानी में प्रवाह, मृगचर्म पर शयन, शुद्ध चांदी का प्रयोग, भाई की सेवा आदि प्रमुख उपाय हैं। पवन सुत हनुमान जी की आराधना श्रेष्ठ, सरल एवं सस्ते उपायों की श्रेणी में रखा गया है। वहीं भगवान कार्तिकेय तथा धरती की पूजा का भी विधान है। स्वयं मंगलदेव की आराधना और उनकी भगिनी यमुना की पूजा से भी दोष का शमन होता है। सूर्य के आ. ज्ञाकारी पुत्र होने के कारण सूर्य की आराधना से भी मंगल प्रसन्न होता है। मंगल दोष दूर करने के लग्नानुरूप तथा भावानुरूप सुझाए गए उपाय अत्यंत कारगर हैं, जिन्हें अपनाकर आम जन भी मंगल के अशुभत्व को शुभत्व में बदल सकते हैं।इन उपायों से कोई हानि नहीं होती। मंगल लग्न में होकर अशुभ हो, मंगल दोष बना रहा हो, तो जातक मुफ्त में दान ग्रहण न करे और कोई वस्तु बिना मूल्य चुकाए स्वीकार न करें।हाथी दांत की बनी वस्तुएं घर में या अपने पास न रखें।

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