Saturday 26 April 2014

रामचरितमानस के कुछ मंत्र

रामचरितमानस के कुछ मंत्र
 
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरितमानस के कुछ मंत्र हम आप के सामने रख रहे है। ये मंत्र भिन्न-भिन्न कार्यो के लिए काम में लाये जाते है और ये प्रभावी है। इनमे से जो मंत्र जपना हो उसे सूर्योदय के पश्चात नित्य-कर्म से निवृत होकर ,आसन बिछा कर, पूर्वाभिमुख बैठ कर ,अपने सामने भगवान श्री रामचंद्र की मनमोहक तस्वीर रख कर, पंचोपचार पूजन करें व इच्छित मंत्र का नित्य एक माला ( 108 ) का नियम पुर्वक जप करे प्रभु श्री रामचंद्र की कृपा आप पर अवस्य होगी

* रक्षा मंत्र
मामभिरक्षय रघुकुल नायक ।
धृतवरचाप रुचिकर सायक ।।

* विपत्ति नाश के लिए
राजीवनयन धरे धनुसायक।
भगत विपति भंजन सुखदायक।।

* कठिन क्लेश नाश के लिए
हरन कठिन कलि कलुष कलेसू।
महामोह निसि दलन दिनेसू।।

* भिन्न-भिन्न रोगों तथा उपद्रव शांति के लिए
दैहिक, दैविक भौतिक तापा।
रामराज नहिं कहुहि व्यापा ।।

* भूत भगाने के लिए
प्रनवउ पवन कुमार, खल बन पावक ज्ञान घन।
जासु ह्रदय आगार, बसहि रामसर चाप धर।।

* विष नाश के लिए
नाम प्रभाउ जान सिवनीको ।
कालकूट फलदिन्ह अमीको।।

* अकाल मृत्यु निवारण के लिए
नाम पाहरू दिवस निसि, ध्यान तुम्हारा कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित, जाहिं प्राण केहिं बाट।।

* जीविका प्राप्ति के लिए
बिस्वभरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत अस होई।।

*लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
जिमी सरिता सागर महुं जाही।
जदपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुखसंपत्ति बिनहि बोलाए।
धरमसील पाहि जाहि सुभाएँ।।

* पुत्र प्राप्ति के लिए
प्रेम मगन कौशल्या, निसि-दिन जात न जान।
सुख सनेह बस माता, बाल चरित कर ज्ञान।।

*मुकदमा जितने के लिए
पवन तनय बल पवन सामना।
बुद्धि विवेक विग्यान निधाना।।

* प्रेम प्राप्ति के लिए
भुवन चारी दस भरा उछाहू।
जनक सुता रघुवीर बीआहू।।

*शत्रु को मित्र बनाने के लिए
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सीतलाई ।।

*संपत्ति लाभ के लिए
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पति नाना विधि पावहिं।।

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