भाग्योदय करना
किसी कि जन्म कुंडली में कमजोर भाग्येश हों और उसे उदय करना हों तो स्वर विध्या कि सरण आना चाहिए | इसके द्वारा सुख सुविधाए खुद बा खुद ही अभ्यास कर्ता के पास आने लगती है नाटो उसको इसके लिए कोई जाप करना और नहीं रत्न आदि पहनने कि आवश्यकता होती है सिर्फ उसको दो काम इस प्रकार करले
{१} रोज सूर्योदय से आधा घंटा पहले उठे |
{२} जब नींद खुल्जाये तब देखे कि कोनसा स्वर चल रहा है जिस और का स्वर चल रहा हों उसी और का हाथ अपने मुह पर घुमाए और उसी और का पांव धरती पर रख कर चले ऐसा करने पर कुछ दिनों में ही भाग्य बदलता हुवा मह्शूश होगा सभी कार्य अनुकूल होने लगेंगे |
किसी कि जन्म कुंडली में कमजोर भाग्येश हों और उसे उदय करना हों तो स्वर विध्या कि सरण आना चाहिए | इसके द्वारा सुख सुविधाए खुद बा खुद ही अभ्यास कर्ता के पास आने लगती है नाटो उसको इसके लिए कोई जाप करना और नहीं रत्न आदि पहनने कि आवश्यकता होती है सिर्फ उसको दो काम इस प्रकार करले
{१} रोज सूर्योदय से आधा घंटा पहले उठे |
{२} जब नींद खुल्जाये तब देखे कि कोनसा स्वर चल रहा है जिस और का स्वर चल रहा हों उसी और का हाथ अपने मुह पर घुमाए और उसी और का पांव धरती पर रख कर चले ऐसा करने पर कुछ दिनों में ही भाग्य बदलता हुवा मह्शूश होगा सभी कार्य अनुकूल होने लगेंगे |
No comments:
Post a Comment