Tuesday 11 December 2012

शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है



 कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु-केतु को पाप-पुण्य संचित करने तथा शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है। इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीड़ित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेवजी उस जातक (मनुष्य) की पीड़ा दूर कर सुख पहुँचाते हैं। भगवान शिव की शास्त्रों में कई प्रकार की आराधना वर्णित है परंतु शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है।

मंत्र निम्न है
:-

'
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।'

इस मंत्र का विशेष विधि
-विधान नहीं है। इस मंत्र को किसी भी सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। इसी के साथ सोमवार का व्रत करें तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे।

शिवजी के सामने घी का दीपक लगाएँ। जब भी यह मंत्र
करें एकाग्रचित्त होकर करें, पितृदोष, एवं कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को यह मंत्र प्रतिदिन करना चाहिए। सामान्य व्यक्ति भी करे तो भविष्य में कष्ट नहीं आएगा। इस जाप से मानसिक शांति, यश, समृद्धि, कीर्ति प्राप्त होती है। शिव की कृपा का प्रसाद मिलता है।

विशेष
: कोई भी आराधना सच्चे मन से करें तो सफलता अवश्य मिलेगी।

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