क्यो श्रीयंत्र को मानते हैं यंत्रराज...
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मीजी पृथ्वी से रूष्ट होकर बैकुंठ
चली गईं। लक्ष्मी की अनुपस्थिति में पृथ्वी पर अनेक समस्याएं उत्पन्न हो
गईं। महर्षि वशिष्ठ और श्रीविष्णु के बहुत मनाने पर भी लक्ष्मी नहीं मानीं।
तब देवगुरू बृहस्पति ने लक्ष्मी को आकर्षित करने के लिए "श्रीयंत्र"
स्थापन एवं पूजन का उपाय बताया। लक्ष्मी को न चाहते हुए भी विवश होकर
पृथ्वी पर लौटना पडा। उन्होंने कहा कि श्रीयंत्र ही मेरा आधार है तथा इसमें
मेरी आत्मा निवास करती है, इसलिए मुझे आना ही पडा। एक अन्य कथा में
श्रीयंत्र का संबंध आद्यशंकराचार्य से जोडा गया है। अद्वैतवादी संन्यासियों
में "श्रीविद्या" की आज भी प्रतिष्ठा है। जब आद्यशंकराचार्य ने शिवजी से
विश्व कल्याण का उपाय पूछा तो उन्होंने श्रीयंत्र और श्रीविद्या प्रदान
करते हुए कहा कि श्रीविद्या की साधना जानने वाला मनुष्य अपार यश और लक्ष्मी
का स्वामी होगा जबकि श्रीयंत्र की पूजन करने वाला प्रत्येक प्राणी सभी
देवताओं की आराधना का फल प्राप्त करेगा क्योकि इस यंत्रराज में सभी
देवी-देवताओं का वास है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मीजी पृथ्वी से रूष्ट होकर बैकुंठ चली गईं। लक्ष्मी की अनुपस्थिति में पृथ्वी पर अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गईं। महर्षि वशिष्ठ और श्रीविष्णु के बहुत मनाने पर भी लक्ष्मी नहीं मानीं। तब देवगुरू बृहस्पति ने लक्ष्मी को आकर्षित करने के लिए "श्रीयंत्र" स्थापन एवं पूजन का उपाय बताया। लक्ष्मी को न चाहते हुए भी विवश होकर पृथ्वी पर लौटना पडा। उन्होंने कहा कि श्रीयंत्र ही मेरा आधार है तथा इसमें मेरी आत्मा निवास करती है, इसलिए मुझे आना ही पडा। एक अन्य कथा में श्रीयंत्र का संबंध आद्यशंकराचार्य से जोडा गया है। अद्वैतवादी संन्यासियों में "श्रीविद्या" की आज भी प्रतिष्ठा है। जब आद्यशंकराचार्य ने शिवजी से विश्व कल्याण का उपाय पूछा तो उन्होंने श्रीयंत्र और श्रीविद्या प्रदान करते हुए कहा कि श्रीविद्या की साधना जानने वाला मनुष्य अपार यश और लक्ष्मी का स्वामी होगा जबकि श्रीयंत्र की पूजन करने वाला प्रत्येक प्राणी सभी देवताओं की आराधना का फल प्राप्त करेगा क्योकि इस यंत्रराज में सभी देवी-देवताओं का वास है।
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